Noida News : मेट्रो अस्पताल प्रबंधन को 9 करोड़ का चूना लगाने वाले दो गिरफ्तार

Noida News : मेट्रो अस्पताल प्रबंधन को नौ करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के मामले में साइबर अपराध थाना पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों में से एक वैभव अस्पताल में रिकवरी अधिकारी था। दूसरा अंकुर त्यागी अकाउंट सेक्शन का कर्मचारी है। इन दोनों ने दो अन्य साथियों के साथ मिलकर धोखाधड़ी की थी। पुलिस फरार आरोपियों को खोज रही है।
एडीसीपी मनीषा सिंह ने बताया कि मेट्रो ग्रुप अस्पताल के अधिकृत प्रतिनिधि गोविंद शर्मा ने पिछले दिनों सेक्टर-24 थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। उन्होंने ग्रुप के साथ 74.90 लाख रुपये धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। उन्होंने पुलिस को बताया था कि मेट्रो अस्पताल ग्रुप की कैंसर यूनिट में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के कर्मचारियों का कैशलेस इलाज किया जाता है।
Police Station Thana Sector 24 Noida News : इलाज के बाद प्रक्रिया के मुताबिक अस्पताल प्रबंधन को बिल के आधार पर निगम भुगतान करता है। मार्च 2025 में निगम पर अस्पताल प्रबंधन का 74.90 लाख रुपये बकाया था। तय समय पर भुगतान नहीं मिलने के कारण अस्पताल प्रबंधन के लोगों ने निगम के कार्यालय जाकर जानकारी प्राप्त की। तब पता चला कि इस बिल का भुगतान निगम की तरफ से कर दिया गया है। इसके बाद जांच में सामने आया कि यह रकम मेट्रो अस्पताल के किसी अधिकृत बैंक खाते में नहीं, बल्कि यस बैंक में खोले गए अन्य खाते में ट्रांसफर की गई थी। यह खाता कंपनी से जुड़ा नहीं था। यह रकम नौ करोड़ से अधिक थी। जांच में पता चला कि जनवरी 2025 में अस्पताल के कर्मचारी वैभव कुमार ने अपने पद पर रहते हुए ई-मेल के जरिये नए बैंक खाते का नंबर निगम को भेजा। एमसीडी ने इसी खाते में रकम ट्रांसफर कर दी। जब यह रकम वैभव के खाते में पहुंच गई तो उसने अस्पताल से नौकरी छोड़ दी। अस्पताल प्रबंधन का कहना था कि इस तरह की और भी रकम अन्य खातों में ट्रांसफर होने की संभावना है। रकम पांच लाख से अधिक होने पर केस को सेक्टर-24 थाने से साइबर अपराध थाने में ट्रांसफर किया गया। एडीसीपी ने बताया कि आरोपी वैभव अस्पताल में रिकवरी अधिकारी के पद पर कार्य करता था। उसने अपने साथी अंकुर त्यागी के साथ मिलकर अस्पताल का खाता अपने व्यक्तिगत खाते से बदलवा दिया। बतौर इसके लिए अस्पताल की अधिकृत ई-मेल आईडी के माध्यम से एमसीडी के एकाउंट सेक्शन को एक मेल भेजा गया, जिसमें पूर्व से एमसीडी द्वारा अस्पताल को दी जाने वाली कैशलेस रकम के खाते को परिवर्तित करने का अनुरोध किया गया था।