Up News : खांडसारी उद्योग पर केंद्र सरकार की नई नीति से छोटे किसानों, श्रमिकों व खांडसारी उद्योग की आजीविका पर संकट, मंत्री को ज्ञापन सौंपा

Sep 8, 2024 - 18:28
Sep 9, 2024 - 09:18
Up News : खांडसारी उद्योग पर केंद्र सरकार की नई नीति से छोटे किसानों, श्रमिकों व खांडसारी उद्योग की आजीविका पर संकट, मंत्री को ज्ञापन सौंपा

Up news : उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में स्थित खांडसारी उद्योग जो कि एक लघु उद्योग की श्रेणी में आता है, सदियों से स्थानीय अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। भारतीय चीनी और जैव ऊर्जा निर्माता संघ की मांग ने खांडसारी इकाइयों से जुड़े व्यापारियों की नींद उड़ा दी है। संपूर्ण भारत में इस उद्योग द्वारा खरीदे जाने वाला गन्ना मिलों के मुकाबले 2 से 3 प्रतिशत ही है। यह उद्योग बहुत हद तक मानव श्रम पर आधारित है और पारंपरिक लघु कुटीर उद्योग के रूप में कार्य करता है, जो खांडसारी राब और खांडसारी शक्कर और खांडसारी सीरा जैसे उत्पादों का उत्पादन करता है। 

खांडसारी उद्योग का संचालन उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदत्त खांडसारी लाइसेंस आदेश 1967 के तहत किया जाता है। यह उद्योग विशेष रूप से उन छोटे और सीमांत किसानों के लिए फायदेमंद साबित हुआ है, जो अपनी गन्ना उपज को बड़ी चीनी मिलों तक ले जाने में असमर्थ होते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार इस उद्योग के लिए समय समय पर प्रोत्साहन नीति भी लाती रहती है जैसे 2019 में मुख्यमंत्री द्वारा लायी गई नीति के तहत कई नए लाइसेंस दिये गये और खांडसारी उद्योग को बढ़ावा दिया गया।

विदित हो कि सरकार द्वारा जारी शक्कर कंट्रोल संबंधी पत्र 22 अगस्त 2024 के माध्यम से खांडसारी शक्कर को भी चीनी की परिभाषा में सम्मिलित किए जाने के संबंध में राज्य सरकारों और सुगर मिल एसोसिएशन आदि से 23 सितंबर 2024 तक सुझाव माँगे गए हैं जब कि खांडसारी उद्योग से कोई सुझाव नहीं माँगे गए। यदि खांडसारी शक्कर को चीनी की परिभाषा में सम्मिलित किया जाता है तो खांडसारी उद्योग के पूरी तरह से समाप्त होने की संभावना है।

सरकार चीनी कंट्रोल ऑर्डर 2024 लागू करने जा रही है। इसी संबंध में उत्तर प्रदेश खांडसारी मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन की टीम केंद्रीय मंत्री पहलाद जोशी से मिली और एक पत्र के माध्यम से खांडसारी उद्योग को इससे बाहर रखने की मांग की।

 मंत्री को सौंपे मांग पत्र के अनुसार उत्तर प्रदेश खांडसारी मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन का कहना है कि खांडसारी उद्योग सीमांत क्षेत्रों में लघु उद्योग की श्रेणी में आता है और खांडसारी शक्कर का उत्पादन यओपेन पेनद्ध परंपरागत द्वारा जबकि चीनी मिलों के द्वारा यवैक्यूम पेनद्ध के साथ आटोमैटिक मशीनों से निर्मित किया जाता है जिसकी वजह से खांडसारी शक्कर की रिकवरी चीनी मिलों की अपेक्षा 25.30 फीसदी कम रहती है।

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गन्ना खरीद खांडसारी उद्योगों को गन्ना की उपलब्धता के लिए कोई भी एरिया रिजर्वेशन नहीं होता है जबकि चीनी मिलों को गन्ना किसानों का एरिया रिजर्वेशन सुनिश्चित होता है। चीनी मिलों के द्वारा अस्वीकृत गन्ना भी खांडसारी उद्योगों के द्वारा ही खरीदा जाता है। छोटे छोटे किसानों को अपने खेतों को खाली कर अगली फसल की बुवाई के लिए गन्ना बेचने के लिए खांडसारी ही नकद भुगतान उपलब्ध कराता है जिससे जरूरतमंद किसानों की त्वरित भुगतान की समस्या का निदान भी खांडसारी के माध्यम से ही होता है जबकि छोटे छोटे गन्ना किसानों के द्वारा चीनी मीलों तक अपना उत्पादित गन्ना चीनी मिलों मे पहुँचाना एवं उनके भुगतान की प्रक्रिया काफी लंबी एवं असहज होती है।

उत्तर प्रदेश एवं खांडसारी मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन का सुझाव है कि खांडसारी उद्योगों को शुगर कंट्रोल से अलग ही एवं यथावत रखा जाए अन्यथा खांडसारी उद्योग निश्चित ही बंद हो जाएगा और छोटे गन्ना किसानों की परेशानियां भी

 बढ़ जाएगी।