Noida News : साइबर जालसाजों ने यूनाइटेड किंगडम की कंपनी की ईमेल आईडी हैक एक करोड़ 55 लाख रुपये की ठगी कर ली। ठगी नोएडा स्थित जर्मनी की कंपनी के साथ हुई है। रकम ट्रांसफर होने के एक महीने बाद जब संबंधित कंपनी को ठगी की जानकारी हुई तो मामले की शिकायत साइबर क्राइम थाने की पुलिस से की गई। अज्ञात जालसाजों के खिलाफ केस दर्ज कर पुलिस ने मामले की जांच शुरु कर दी है। शुरुआती जांच में विदेशी हैकर के ठगी में शामिल होने का इनपुट मिला है।
जर्मनी की बारटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के प्रतिनिधि संतोष कुमार झा द्वारा शिकायत में बताया गया कि सेक्टर-62 में उनकी कंपनी की शाखा है। उनकी कंपनी देश और विदेश में इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार उत्पादों का कारोबार लंबे समय से कर रही है। भारत में भी इसकी शाखाएं फैली हुई हैं। यहीं से कई देशों में उत्पाद का आयात और निर्यात किया जाता है। इस कंपनी का यूनाइटेड किंगडम की कंपनी मेसर्स पीएससी वोडेक लिमिटेड के साथ खरीद बिक्री का काम है। कुछ समय पहले नोएडा स्थित कंपनी की तरफ से मेसर्स पीएससी वोडेक लिमिटेड से दूरसंचार उत्पाद खरीदे गए। इसके लिए दोनों कंपनियों के बीच ईमेल आईडी से बातचीत हुई। माल भेजने के 30 दिन के भीतर यूके की कंपनी को भुगतान करने की समय सीमा निर्धारित की गई थी।
नोएडा स्थित कंपनी के प्रतिनिधियों में तय समय सीमा के भीतर रकम ट्रांसफर करने को कहा। उनकी ओर से मेल के माध्यम से बताया गया कि बार्कलेज बैंक के खातों में रकम ट्रांसफर की जाएगी। इसी दौरान साइबर ठगों ने यूके की कंपनी की ईमेल आईडी हैक कर ली और नए बैंक का विवरण दे दिया। मेल में ही बताया गया कि कुछ तकनीकी दिक्कतों के कारण रकम ट्रांसफर करने के लिए नए बैंक का विवरण दिया जा रहा है। इस ईमेल में भी विषय, ईमेल बॉडी, इसकी संरचना, सभी नाम वैसे ही थे जैसे पहले वाले मेल में थे। इसके बाद झांसे में आकर नोएडा स्थित कंपनी की तरफ से 1 करोड़ 55 लाख रुपये बताए गए खाते में ट्रांसफर कर दिए गए। 12 दिसंबर को जब यूके की कंपनी की तरफ से रकम भेजने का रिमाइंडर आया तब दोनों कंपनियों के बीच फोन पर संपर्क हुआ।
पता चला कि यूके की कंपनी की इमेल आईडी में जालसाजों ने सेंध लगाई और रकम अपने खातों में ट्रांसफर करा ली। जिन विदेशों बैंकों के खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर हुई है, पुलिस उन बैंकों से पत्राचार कर जानकारी जुटाने का दावा कर रही है। मामले की शिकायत सबसे पहले गृह मंत्रालय के पोर्टल पर की गई थी। वहां से मामला साइबर क्राइम थाने आया। मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय साइबर टीम लगाई गई है।