Noida News : शहर के अलग-अलग हिस्से से किशोरियों के लापता होने के मामले रोजाना सामने आ रहे हैं। इस साल के शुरुआती तीन महीने में जनपद के सभी थानाक्षेत्रों से 45 के करीब किशोरियां संदिग्ध परिस्थितियों में घर छोड़कर चली गईं। ज्यादातर एक सप्ताह के भीतर घर वापस लौट आईं। जांच के दौरान पता चला कि किशोरियों को आसपास और पहचान के युवक बहला-फुसलाकर ले गए थे। जितनी किशोरियों ने घर छोड़ा या संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हुईं,उनमें से करीब 70 प्रतिशत किशोरियों झुग्गियों और मलिन बस्तियों में रहने वाली हैं। इस समस्या के निदान के लिए कमिश्नरेट पुलिस अगले महीने से व्यापक स्तर पर अभियान चलाएगी। पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर तीनों जोन की महिला विंग झुग्गियों और मलिन बस्तियों में जाकर किशोरियों को जागरूक करेगी। टीमें उनको पढ़ाई का महत्व बताएंगी। उनको रोजगार के अवसरों के बारे में बताया जाएगा। बाल विवाह और कम उम्र में घर छोड़ने के बाद भविष्य में आने वाली परेशानियों के बारे में भी किशोरियों को बताया जाएगा ताकि वह अपने जिंदगी में बेहतर फैसले ले सकें। महिला अपराध संबंधी हेल्पलाइन की जानकारी किशोरियों और उनके परिजनों को दी जाएगी ताकि किसी भी समय वह परेशानी होने पर पुलिस अधिकारियों और पुलिस स्टेशन पर संपर्क कर सकें। प्रारंभिक चरण में अभियान हर सप्ताह में शनिवार और रविवार को चलाया जाएगा। बाद में इसका और विस्तार होगा। अभियान एडिशनल डीसीपी महिला सुरक्षा प्रीति यादव और एसीपी महिला सुरक्षा सौम्या सिंह की अगुवाई में चलेगा।
वैसे तो शहर के हर हिस्से में किशोरियों के लापता होने के मामले सामने आ रहे हैं। कुछ जगह ऐसी है जहां पर यह मामले सबसे ज्यादा आ रहे हैं। सभी जेजे कॉलोनी और झुग्गियों के अलावा मामूरा, सलारपुर, भंगेल, ककराला, हरौला, छिजारसी, बहलोलपुर, चौड़ा और छलेरा समेत करीब 20 ऐसे गांव हैं,जहां से किशोरियां ज्यादा भागती हैं। जांच के दौरान यह बात भी निकलकर सामने आई कि जिन किशोरियों और युवतियों ने घर छोड़ा उनमें से ज्यादातर ने पढ़ाई छोड़ रखी है। आधे से ज्यादा ऐसी हैं जो कभी स्कूल और कॉलेज गई ही नहीं है। ज्यादातर किशोरियों की आयु 14 से 18 साल के बीच है। इन्हीं किशोरियों पर अभियान का पूरा फोकस रहेगा।
जीबीयू के मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष आनंद प्रताप सिंह ने बताया कि जिन किशोरियों में बॉर्डर लाइन पर्सनाल्टी डिसऑर्डर होता है, वह अक्सर बहकने के बाद घर छोड़ देती हैं। बॉर्डर लाइन पर्सनाल्टी वाली किशोरियों भावात्मक तौर पर स्थिर नहीं होती हैं। उनके लिए सिद्धांतों से ज्यादा आवश्यक तात्कालिक खुशी होती है। उत्सुकता की अतिरेकता के कारण वह भविष्य की चिंता किए बगैर घर छोड़ देती हैं। प्रैक्टिकल लाइफ से जब उनका सामान होता है और जीवन के संघर्षों से जब वह रुबरु होती हैं तब उन्हें अपने फैसले गलत लगने लगते हैं और परिवार के पास दोबारा लौट आती हैं। परिजनों को बच्चियों को समय देना होगा और सबसे ज्यादा आवश्यक है कि बच्चियों को शिक्षित करना होगा तभी इसपर लगाम लग सकेगी।
गौतमबुद्घनगर में देश भर के विभिन्न राज्यों व शहरों के लोग रहते हैं और बड़ी संख्या में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोग भी हैं। ऐसे में यहां गुमशुदगी के मामले अधिक होते हैं। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2024 में गौतमबुद्घनगर में एक जनवरी से एक मार्च तक गुमशुदगी के 122 मामले सामने आए हैं। इसमें महिला,पुरुष, किशोर, किशोरियां और बच्चे भी शामिल हैं। इनमें ट्रांसजेंडर के एक भी गुमशुदगी नहीं हुई और पांच वर्ष से नीचे के बच्चे बच्चियों के लापता होने की घटनाएं बहुत कम हुई। जोनल इंटीग्रेटेड पुलिस नेटवर्क के आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष एक जनवरी से 31 मार्च तक तीनों जोन में गुमशुदगी के मामले सामने आए हैं। वहीं कमिश्नरेट पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि गुमशुदा हुए लोगों में बहुत सारे लोग मिल गए हैं या उनकी बरामदगी हो गई है।
पुलिस आयुक्त श्रीमती लक्ष्मी सिंह ने बताया कि बिना किसी कारण घर छोड़कर जाने वाली किशोरियों को जागरूक करने के लिए झुग्गियों और मलिन बस्तियों समेत अन्य जगहों पर अभियान चलाया जाएगा। किशोरियों को शिक्षा के महत्व समेत अन्य पहलुओं के बारे में जानकारी देकर मजबूत बनाया जाएगा।