Noida News : पंजाबी विकास मंच ने धूमधाम से मनाया बैसाखी का पर्व

Apr 13, 2024 - 10:06
Apr 13, 2024 - 10:08
Noida News : पंजाबी विकास मंच ने  धूमधाम से मनाया बैसाखी का पर्व
Baisakhi festival celebrated in Noida by Punjabi samaj in Sec 12 Noida

Noida News : सेक्टर-12 स्थित गुरुद्वारा साहिब में पंजाबी विकास मंच द्वारा बैसाखी का पर्व पंजाबी संस्कृति के अनुसार धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर बैसाखी की परम्परानुसार श्रद्धा पूर्वक शबद कीर्तन व लंगर का आयोजन किया गया ।

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कार्यक्रम के दौरान पंजाबी विकास मंच के चेयरमैन पंजाबी रतन दीपक विग ने पंजाबी परिवारों को बैसाखी पर्व की महता बताते हुए कहा कि हमारा देश विभिन्न त्यौहारों का एक खूबसूरत गुलदस्ता है। इस गुलदस्ते का एक सुंदर फूल है ‘बैसाखी’। वैसाखी पंजाब के कैलेंडर में सबसे महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है। वैसाखी एक वसंत उत्सव है जो हर साल 13 या 14 अप्रैल को होता है। इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है। उन्होंने कहा कि इसी दिन सिखों के दसवें गुरु श्रीगुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 ईस्वी को आनंदपुर साहिब में ‘पांच प्यारों’ को अमृत छकाकर ‘खालसा पंथ’ की सृजना की थी। पांच प्यारों को अमृत छकाने का मूल उद्देश्य गुलाम मानसिकता की जिंदगी व्यतीत कर रही जनता में ‘चढ़दी कला’ अर्थात जोश और शक्ति की भावना भर कर आत्मबल और शक्ति पैदा करना था ताकि हर प्रकार के जुल्म का डट कर लोग सामना कर सके। इस पंथ के द्वारा गुरु श्री गोबिन्द सिंह जी ने लोगों को धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव छोड़कर इसके स्थान पर मानवीय भावनाओं को आपसी संबंधों में महत्व देने की भी दृष्टि दी। इस दिन सिख गुरुद्वारों में विशेष उत्सव मनाए जाते हैं। पंजाबी रतन दीपक विग ने कहा कि बैसाखी के दिन हिंदू समाज की मान्यता है कि देवी गंगा नदी स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरी थीं। इस लिए देश में सबसे बड़े वैशाखी मेलों में से एक हरिद्वार में आयोजित किया जाता है, जो एक महत्वपूर्ण तीर्थ है। उन्होंने बताया कि वैशाखी पर गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए लगभग 50 लाख तीर्थयात्री हरिद्वार में ब्रह्म कुंड में आते हैं।

पंजाबी विकास मंच के अध्यक्ष जीके बंसल ने बताया कि भारत भर में बैसाखी का पर्व सभी जगह मनाया जाता है और इसे दूसरे नाम से खेती का पर्व भी कहा जाता है। किसान इसे बड़े आनंद और उत्साह के साथ मनाते हुए खुशियों का इजहार करते हैं। बैसाखी मुख्यतः कृषि पर्व है। पंजाब की भूमि से जब रबी की फसल पककर तैयार हो जाती है तब यह पर्व मनाया जाता है।

पंजाबी विकास मंच के डिप्टी चेयरमैन संजीव पुरी ने कहा कि हर वर्ष बैसाखी 13 या 14 अप्रैल को मनाई जाती है इस दिन से ही हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है। क्योंकि सूर्य स्वयं की राशि मेष में आता है। सूर्य 12 राशियों का भ्रमण करने के बाद स्वयं की राशि मेष में उच्च का होता है। उन्होंने कहा कि सूर्य सभी ग्रहों का राजा है। सूर्य के उच्च में आने के कारण इस दिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत शुभ मानी जाती है। सूर्य के उच्च में आने से जो अलौकिक किरणें सूर्य के द्वारा पृथ्वी में आती है वह नदियों में समा जाती है। जो वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होती है। बैसाखी के दिन नदियों में स्नान करने से आभामंडल में तीव्रता आती है और कई रोगों का नाश भी होता है।

कार्यक्रम के दौरान पीवीएम के सरांक्षक विनोद ग्रोवर, जेएम सेठ, चेयरमैन पंजाबी रत्न दीपक बिग, अध्यक्ष जीके बंसल, डिप्टी चेयरमैन संजीव पुरी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुनील वाधवा व एसपी कालरा, उपाध्यक्ष हरीश सभरवाल व प्रदीप वोहरा, कोषाध्यक्ष संजीव बांधा, सचिव सरोज भाटिया, अलका सुद व एसएस सचदेवा, सह सचिव अमरदीप शाह, रितु दुग्गल व प्रभा जयरथ, ऑडिटर प्रेम अरोड़ा, राजकुमार भट, संजय खत्री, अलका सूद, राज कुमार नारंग, सुनील वर्मा, सुषमा नेब, विद्यासागर विरमानी, सरोज भटिया, पिंकी गुप्ता, पीएस गुलाटी, जितेन सभरवाल, नरेंद्र दुग्गल, रमन वासन, गौरव जग्गी, विजया शर्मा, नरेंद्र थरेजा, अमरजीत कौर, दिव्या महाजन सहित अन्य लोग उपस्थित थे।