Noida News : रवि काना की खुली जुबान, नाम सुनकर अफसर हुए हैरान

Apr 30, 2024 - 13:39
Noida News  : रवि काना की खुली जुबान, नाम सुनकर अफसर हुए हैरान

 Noida News : कुख्यात स्क्रैप माफिया रवि काना और मैनेजर काजल झा को उसके संरक्षक ही बलि की बेदी पर न चढ़ा दे, इस बात की जोरदार चर्चा शुरू हो गई है। पुलिस सूत्रों के अनुसार पूछताछ के दौरान कई ऐसे लोगों के नाम सामने आए हैं जो काफी ताकतवर हैं, और उनके नाम सार्वजनिक होने से उनकी प्रतिष्ठा को आंच आएगी या उन्हें जेल जाना पड़ सकता है। पुलिस सूत्रों के अनुसार पूछताछ के दौरान कई आईएएस, आईपीएस, एसटीएफ, न्यायपालिका से जुड़े लोग, नेता, मिडिया कर्मी के नाम सामने आए हैं, जो रवि काना को परोक्ष रूप से संरक्षण दे रहे थे। इसकी पूरी सूची तैयार करके नोएडा पुलिस ने शासन को भेज दिया है। रिपोर्ट के बाद उसके आकाओं में हड़कंप मचा हुआ है।

सूत्र बताते हैं कि रवि काना के आका उसकी जेल से लेकर बेल तक की व्यवस्था में जुटे हैं। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि अपनी इज्जत बचाने के चक्कर में कुछ लोग काजल और रवि की हत्या करवाने की योजना बना रहे हैं। पुलिस ने सभी पहलुओं के ध्यान में रखते हुए आरोपियों की सुरक्षा की व्यवस्था कड़ी की है। पुलिस अधिकारियों की नजर जेल प्रशासन पर भी है। सूत्रों का दावा है कि रवि काना के कुछ गुर्गों ने उसके जेल जाने से पहले ही जेल प्रशासन से सेटिंग की है। जिस जेल में रवि काना बंद है वहां पर उसके विरोधी गैंग के भी कुछ लोग बंद है। पुलिस को जेल में भी गैंगवार की आशंका है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि इसी गैंगवार की आशंका का फायदा उठाकर कुछ ताकतवर अधिकारी रवि काना या काजल की हत्या करवा सकते हैं। बताया जाता है कि काजल रवि की एक-एक राज की राजदार है। 

पुलिस सूत्रों के अनुसार रवि काना तथा उसकी महिला मैनेजर काजल से पूछताछ में कई ऐसे नाम सामने आए हैं। रवि काना का नेटवर्क शासन स्तर से लेकर स्थानीय स्तर पर मीडिया और राजनेताओं, एसटीएफ व पुलिस विभाग और न्यायपालिका में मजबूत था। इसी मजबूत नेटवर्क के जरिए उसने चंद सालों में अकूत संपत्ति कमाई। थाना सेक्टर-39 में उसके और उसके साथियों के खिलाफ एक दलित युवती ने गैंगरेप का मुकदमा 31 दिसंबर 2023 को दर्ज कराई थी। इसकी जानकारी रवि काना तक पहुंच गई। सूत्रों के मुताबिक इसके बाद ही आनन-फानन में थाईलैंड जाने के लिए थाई एयरवेज की टिकट 31 दिसंबर को कर्रवाई तथा 1 जनवरी 2024 को वह रविंद्र के नाम से थाईलैंड चला गया अगले दिन 2 जनवरी को दिल्ली स्थित फ्रेंड्स कॉलोनी वाली कोठी से उसकी महिला मैनेजर काजल व पत्नी मधु भी जेट एयरवेज से थाईलैंड चले गए। जहां उसका कारोबार अप्रत्यक्ष रूप से है। सूत्रों के मुताबिक रवि काना थाईलैंड में पोर्ट पर कार्गो लाइन में हैंडलर की एजेंसी में पार्टनर है। वह वहां पर कई रेस्तरां व होटल में भी पार्टनर है। इसके अलावा दुबई में भी उसका कारोबार है।

 थाईलैंड से उसकी भारत वापसी की टिकट 15 जनवरी की थी लेकिन वह नहीं लौटा और बिना वीजा के वह वहां चोरी छिपे रहने लगा। थाईलैंड में उसके रूकने का पूरा इंतजाम एनसीआर के ही एक व्यक्ति ने कराया था। रवि काना की पत्नी मधु नागर नाटकीय ढंग से भारत लौटी। ग्रेटर नोएडा की नॉलेज पार्क थाना पुलिस ने जब पूछताछ की तो कई जानकारियां मिली। इसके बाद पुलिस थाईलैंड के उस नेटवर्क पर काम करना शुरू किया जिसके संरक्षण में वह अपनी संपत्ति और आना जाना कर रहा था। उसकी ट्रेवल हिस्ट्री से लेकर उसके मोबाइल फोन में कैद डाटा को रिकवर कराने का भी प्रयास अब पुलिस करने जा रही है ताकि जो संदेश या फोन कॉल उसने डिलीट की है। उस तक पहुंचा जा सके और उसके व संरक्षणदाताओं के खिलाफ केस को मजबूत किया जा सके।


                           अपर महाधिवक्ता की भूमिका संदिग्ध
स्क्रैप माफिया रवि काना और गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट के बीच हाईकोर्ट में भी कानूनी दांवपेंच चरम पर है। लगातार रवि के खिलाफ सबूत पर सबूत दिए जाने के बाद भी न्यायालय में उन सबूतों पर जिरह न के बराबर करने और मामले को लंबा खींचने का दौर शुरू होता देख सरकार की तरफ से इस केस की पैरवी करने वाले एक अपर महा अधिवक्ता की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए है। सूत्रों के मुताबिक गौतमबुद्ध नगर पुलिस के एक इनपुट पर शासन स्तर से इस मामले में हाईकोर्ट में चल रहे केस में रवि काना के खिलाफ सरकारी वकील की जगह एक अन्य वकील को रखा गया है। जो कि गैंगस्टर सुंदर भाटी के खिलाफ भी केस लड़ चुका है।

सरकारी वकील की भूमिका सवालों के घेरे में उस वक्त नजर आई जब उन्होंने वर्ष 2018 में बिसरख थाने में रवि काना के खिलाफ दर्ज एक केस में केस को खारिज करने के लिए उसकी तरफ से पैरवी की थी। वह शासन की तरफ से पिछले साल अपर महाधिवक्ता बने और उन्हें इस साल रवि काना के केस में लगाया गया। सूत्रों के मुताबिक नैतिकता के आधार पर उन्हें रवि काना के केस से उन्हें अलग हो जाना चाहिए था, क्योंकि वह खुद रवि काना के वकील रह चुके है। इसकी जानकारी शासन स्तर पर उन्हें दे देनी जानी चाहिए थी। उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया। इसको लेकर उनके उपर सवाल उठने लगे थे। कुछ दिनों पहले ही इसकी जानकारी शासन स्तर पर भी पहुंची। इसके बाद शासन ने रवि काना के प्रकरण में वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप कुमार गुप्ता को लगाया है। 
                       रवि और काजल की पुलिस कस्टडी पर चल रही है बहस
रवि और काजल की पुलिस कस्टडी रिमांड की मांग पर आज जनपद गौतम बुद्ध नगर न्यायालय में बहस चल रही है। खबर लिखे जाने तक बहस जारी थी। नोएडा पुलिस ने  5 दिन की रिमांड मांगी है। अगर न्यायालय द्वारा रिमांड दिया जाता है तो पुलिस कमिश्नर द्वारा बनाई गई स्पेशल टीम दोनों से गहनता से पूछताछ करेगी। पूर्व में इनसे पूछताछ के दौरान मिली जानकारी तथा पुलिस द्वारा इकट्ठी की गई जानकारी को सत्यापित किया जाएगा। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेने के बाद रवि काना से कुछ और राज उगलवाए जा सकते हैं। पुलिस सूत्र बताते हैं कि रवि के नेटवर्क से जुड़े कई लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।