Noida News : पार्सल में आपत्तिजनक सामग्री होने का डर दिखाकर बुजुर्ग महिला से 1.30 करोड़ की ठगी

Noida News : साइबर अपराधियों ने एक बुजुर्ग महिला से पार्सल में ड्रग्स और एक्सपायर पासपोर्ट समेत अन्य गैरकानूनी सामान होने का डर दिखाकर एक करोड़ 30 लाख रुपये की ठगी कर ली। इस दौरान ठगों ने महिला को स्काइप कॉल पर पांच दिन तक जोड़े रखा। किसी अन्य से बात करने पर मुसीबत में पड़ने का डर दिखाकर ठगों ने महिला को डिजिटल अरेस्ट भी किया। ठगी की जानकारी होने के बाद महिला ने मामले की शिकायत बीती रात को साइबर क्राइम थाने में की है। पुलिस ने इस मामले में अज्ञात ठगों के खिलाफ धोखाधड़ी और आइटी एक्ट की धारा में रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
पांच दिन तक साइबर अपराधियों ने बुजुर्ग महिला को डिजिटल अरेस्ट करके रखा
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साइबर क्राइम थाने के प्रभारी निरीक्षक विजय कुमार गौतम ने बताया कि सेक्टर-49 के सी ब्लॉक की रहने वाली शुचि अग्रवाल ने रिपोर्ट दर्ज कराई है कि 13 जून को उनके मोबाइल फोन पर एक अनजान नंबर से फोन आया। कॉलर ने बताया कि वह फेडिक्स कुरियर की अंधेरी शाखा से बात कर रहा है। कथित फेडिक्स कर्मचारी ने महिला से कहा कि उसका एक पार्सल पकड़ा गया है जिसमें एलसीडी, एक्सपायर पासपोर्ट और पांच किलोग्राम कपड़े समेत अन्य सामान है। महिला से कहा गया कि पूछताछ के लिए या तो उसे मुंबई आना पड़ेगा या फिर ऑनलाइन ही मुंबई पुलिस के नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों से जुड़ना होगा। इसके बाद महिला को स्काइप कॉल पर जोड़ा गया।
उन्होंने बताया कि नारकोटिक्स विभाग के कथित अधिकारियों ने महिला से मुकदमे के संबंध में बातचीत करनी शुरू कर दी। करीब दस घंटे तक ठगों ने महिला को डिजिटल अरेस्ट करके रखा। इसके बाद जालसाजों ने महिला से कहा कि बुजुर्ग होने के चलते उसे सोने के समय ही स्काइप कॉल से दूर रहने की अनुमति दी जाएगी। अगर इस दौरान कोई होशियारी की गई तो महिला को जेल जाना पड़ेगा। इसी दौरान स्काइप कॉल से जुड़े कथित नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों ने महिला से कहा कि उसके आधार कार्ड पर इस समय कुल 6 अकाउंट चल रहे हैं। सभी खातों में मनी लॉड्रिंग का काम हो रहा है। इसमें लंबे समय तक जेल जाने का प्रावधान है। डरी सहमी महिला को जालसाजों ने पुलिस क्लियरेंस सर्टिफिकेट देने के नाम पर रुपये ट्रांसफर करने को कहा। ठगो ने महिला को कई खाते रकम ट्रांसफर करने के लिए उपलब्ध कराए। जेल जाने के डर से महिला ने जालसाजों द्वारा बताए गए खाते में रकम ट्रांसफर कर दी। ठग तब तक महिला से रकम ट्रांसफर कराते रहे जबतक उसका खाता खाली नहीं हो गया। इस दौरान जांच प्रक्रिया पूरी होने पर रकम वापस करने का झांसा भी जालसाजों द्वारा महिला को दिया गया। जब महिला पर लोन लेकर रकम भेजने का दबाव बनाया जाने लगा तब उसे ठगी की जानकारी हुई। पैसे वापस मांगने पर ठगों ने महिला से पूरी तरह से संपर्क तोड़ दिया। इसके बाद महिला ने परिवार के सदस्यों को घटना की जानकारी दी। बताया जा रहा है कि महिला के पति रिटायर्ड सरकारी अधिकारी हैं और शिकायतकर्ता हाउसवाइफ है।
13 जून को जिस नंबर से महिला के पास कॉल आई थी उस नंबर की व्हाट्सएप डीपी में मुंबई पुलिस का लोगो था। जब महिला को स्काइप कॉल पर जोड़ा गया तो उसमें सामने वीडियो में जितने लोग दिख रहे थे सभी ने पुलिस की वर्दी पहनी हुई थी और उनके पीछे दीवार पर मुंबई नारकोटिक्स विभाग का लोगो बना हुआ था। वीडियो में दिख रहे ठगों ने अपना पुलिस का फर्जी आईकार्ड भी महिला को दिखाया ताकि उसे विश्वास में लिया जा सके। जालसाजों ने कई नेताओं और माफियाओं के बारे में भी इस दौरान महिला को बताया जो मनी लॉड्रिंग के मामले में जेल जा चुके हैं।
जिन खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर हुई है,पुलिस उन खातों की जानकारी जुटा रही है। महिला द्वारा संबंधित खातों की जानकारी पुलिस को दी गई थी। संबंधित खातों के मूल धारकों का पता लगाया जा रहा है। महिला ने बताया कि ठगी की जो रकम गई है वह उनकी जिंदगी भर की कमाई थी। उन पांच दिनों को याद कर मन अभी भी सिहर उठता है। ठगों ने जिंदगी भर की कमाई महज पांच दिन में लूट ली। आगे क्या होगा इस बारे में चिंता सता रही है। पुलिस का दावा है कि जिन खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर हुई है उनके बारे में कई अहम जानकारी मिली है। जल्द ही जालसाजों को दबोचा जाएगा।
क्या होता है डिजिटल अरेस्ट:
डिजिटल अरेस्ट में पुलिस किसी को जेल नहीं भेजती है। डिजिटल अरेस्ट में ठग द्वारा पीड़ित को फोन कर बताया जाता है कि उनका नाम ड्रग तस्करी, मनी लॉड्रिग के केस में आया है और उन्हें घर से बाहर निकलने की अब अनुमति नहीं है। इतना ही नहीं, पीड़ित से यह भी कहा जाता है कि वह डिजिटल तौर पर लगातार उनसे यानी ठगों से जुड़े रहेंगे। साथ ही वह इस बारे में अपने परिवार के किसी सदस्य या दोस्त व परिचित को नहीं बता सकते हैं। पीड़ित से केस रफा-दफा करने के लिए पैसों की मांग की जाती है। इस दौरान ठग लगातार फर्जी अधिकारी बनकर वीडियो कॉलिंग के जरिए बात भी करते रहते हैं। पीड़ित डर की वजह से साइबर अपराधियों के झांसे में आकर उनके पास रुपये भेज देता है।