Noida News : अमेरिकी नागरिकों से ठगी करने वाले कॉल सेंटर का पर्दाफाश, 15 गिरफ्तार

Aug 9, 2024 - 22:59
Noida News : अमेरिकी नागरिकों से ठगी करने वाले कॉल सेंटर का पर्दाफाश, 15 गिरफ्तार
अमेरिकी नागरिकों से ठगी करने वाले कॉल सेंटर का पर्दाफाश, 15 गिरफ्तार

Noida News : कंप्यूटर व लैपटॉप पर पॉपअप मैसेज भेजकर तकनीकी सहायता के नाम पर अमेरिकी नागरिकों से ठगी करने वाले कॉल सेंटर का पर्दाफाश करते हुए थाना सेक्टर-58 पुलिस ने शुक्रवार को 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं। गिरोह के तीन अन्य सदस्य अभी फरार हैं। आरोपियों के पास से 25 लैपटॉप और 16 मोबाइल समेत अन्य उपकरण बरामद हुए हैं। एक साल के अंदर गिरोह के सदस्यों ने 1200 से अधिक अमेरिकी नागरिकों के साथ ठगी की है। नोएडा में एक माह पहले ही कॉल सेंटर खोला गया था। फरार आरोपियों की तलाश में पुलिस की एक टीम संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है। 

सहायक पुलिस उपायुक्त रामबदन सिंह ने बताया कि पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि सेक्टर-59 के ए ब्लॉक स्थित एक भवन में ठगी करने वाला एक कॉल सेंटर चल रहा है। यहां से अमेरिकी नागरिकों से ठगी हो रही है। इसके बाद कॉल सेंटर का पर्दाफाश करने के लिए एडिशनल डीसीपी मनीष कुमार मिश्र की अगुवाई में एक टीम गठित की गई। इसके बाद टीम ने छापा मारकर मुंबई निवासी मास्टरमाइंड निखिल राणा, मुंबई निवासी मैनेजर वीरेंद्र रावत, ठाणे निवासी समीर, सेकंत शाह, मोहम्मद अली, शाहरूख खान, खान मोहम्मद दानिश, रीश, नुमेर, सुल्तानपुर निवासी शिवम यादव, गाजीपुर दिल्ली निवासी अरबाज, नागालैंड निवासी उबैद, मणिपुर की रहने वाली अमांडा, कविनय और नागालैंड निवासी वेनसोन को दबोच लिया। सरगना निखिल पूर्व में भी मुंबई समेत अन्य शहरों में कॉल सेंटर संचालित कर चुका है। उसका आपराधिक इतिहास भी है। गिरोह के तीन अन्य सरगना सामी, वसीम उर्फ वाहिद और मोंटू अभी भी फरार हैं। 

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डीसीपी ने बताया कि गिरोह का सरगना फर्जी दस्तावेज के सहारे कागजों पर कुछ फर्म और कंपनी बनाता है। इन्हीं कंपनियों की आड़ में कॉल सेंटर खोलकर ठगी की जाती है। सेक्टर-59 में संचालित कॉल सेंटर भी ऐसा ही था। यहां से अमेरिकी नागरिकों से संपर्क किया जाता था और उनके कंप्यूटर व लैपटॉप पर पॉप अप वायरस डालकर तकनीकी सहायता का झांसा दिया जाता था। तकनीकी सहायता के नाम पर ये लोग अलग अलग सॉफ्टवेयर के माध्यम से उनके लैपटॉप कंप्यूटर को हैक कर लेते थे और विदेशी नागरिकों के ऑनलाइन खाते या क्रेडिट कार्ड का डिटेल लेकर पैसे का ट्रांजैक्शन किराए पर लिए गए विदेशी अकाउंट में कर लेते थे।आरोपी जब किसी अमेरिकी नागरिक को पॉपअप डालकर फंसाते थे तब माइक्रोसॉफ्ट समेत अन्य बड़ी कंपनियों के नाम पर टेक्निकल सपोर्ट की बात कहकर सिस्टम को हैक कर लेते थे। इसके बाद इसे ठीक करने के एवज में क्रिप्टो करेंसी व गिफ्ट कार्ड के रूप में रकम लेते थे। बाद में इन करेंसी व कार्ड को हवाला के माध्यम से भारतीय मुद्रा में कैश कराते थे। इन आरोपियों ने कई विदेशी अकाउंट किराए पर ले रखा है। इन किराए के अकाउंट में डॉलर में पैसे ट्रांजैक्शन किए जाते हैं। फिर किराए के अकाउंट वाले अपना कमीशन काटकर भारत में हवाला के माध्यम से ऑनलाइन भेजते हैं।

जिन तीन युवतियों अमांडा, वेनसोन और कविनय को गिरफ्तार किया गया है वे इतनी अच्छी अंग्रेजी बोलती है कि अमेरिकी नागरिक तक शक नहीं कर पाते कि उनसे कोई भारतीय युवती बात कर रही है। इसके लिए युवतियों को बाकायदा प्रशिक्षण दिलाया जाता है। गिरोह का सरगना और उसके फरार साथी महज दसवीं पास हैं। मोंटू और वसीम अमेरिकी लोगों का डाटा खरीदता है और उसे निखिल को ठगी के लिए उपलब्ध कराता है। मोंटू ही गिफ्ट कार्ड व क्रिप्टो करेंसी को भारतीय मुद्रा में कैश कराता था।