Noida News : राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की हवा जहरीले हो गई है। आज ग्रेटर नोएडा सबसे ज्यादा दूषित शहर रहा। जहां की एक्यूआई-320 दर्ज की गई, जो कि स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है। ग्रेटर नोएडा आज रेड जोन में पहुंच गया है ,जबकि दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद ,बल्लभगढ़ सहित कई शहर ऑरेंज जोन में पहुंच गए हैं। इसके चलते लोगों को सांस लेने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
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आंखों में जलन होने लगी है। कड़ाके की धूप में बढ़ते वायु प्रदूषण ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। ऐसे में एनजीटी ने अब वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से रिपोर्ट मांगी है। एनजीटी ने सीएक्यूएम से ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के प्रतिबंध लागू करने के लिए भी परीक्षण करने के लिए कहा है। इसके लिए आयोग अपनी एक रिपोर्ट तैयार कर एनजीटी को देगा।
प्रदूषण मापक एप समीर के अनुसार बुधवार को ग्रेटर नोएडा की एक्यूआई 320, नोएडा की 279, गाजियाबाद की 216, दिल्ली की 246, फरीदाबाद की 242, बल्लभगढ़ की 240, मेरठ की 213, मुजफ्फरनगर की 301, गुरुग्राम की 219, भिवानी की 213 दर्ज की गई है। एनसीआर के सभी प्रमुख शहर रेड या ऑरेंज जोन में पहुंच गए हैं।
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने अपने आदेश में कहा है कि मई के पहले सप्ताह में लगातार तीन से छह मई तक हवा खराब श्रेणी में रही। दिल्ली में ही एक्यूआई तीन मई को 264, चार मई को 281, पांच मई को 291 और छह मई को 247 रहा। यह सीधे तौर पर हवा के खराब होने का संकेत है। सीएक्यूएम का नियम है कि लगातार 72 घंटे से अधिक हवा के खराब होने की स्थिति में ग्रैप के प्रतिबंध लागू हो जाते हैं। एक्यूआई के 201 से 300 के बीच मिलने पर ग्रैप-1 के प्रतिबंध लागू होने चाहिए। एनजीटी ने सीएक्यूएम से पूछा है कि आखिर क्यों अब तक प्रतिबंध लागू नहीं किए गए हैं जबकि पांच मई को एक्यूआई 291 तक पहुंच गया।
आयोग ने एनजीटी से कहा है कि उनको प्रदूषण के मामले में परीक्षण के लिए कुछ समय चाहिए। इसके बाद ही रिपोर्ट एनजीटी को दी जा सकेगी। इसमें आयोग यह कारण भी बताएगा कि आखिर क्यों अब तक प्रतिबंध लागू नहीं किए गए। एनजीटी इस मामले में अगली सुनवाई 20 अगस्त को करेगी। इससे पहले आयोग को अपनी रिपोर्ट देगी।अगर हवा के प्रदूषित होने पर एनजीटी सख्त कदम उठाता है तो ऐसे में सीएक्यूएम ग्रैप के प्रतिबंध लागू करेगा। ये प्रतिबंध नोएडा सहित पूरे एनसीआर पर लागू होगा। इस दौरान निर्माण कार्य से लेकर वाहनों के संचालन को लेकर जरूरी प्रतिबंध लगाया जाएगा।