Noida news : ईएसआइसी अस्पताल प्रबंधन पर इलाज में लापरवाही का आरोप
Noida News : नोएडा के सेक्टर-24 स्थित कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइसी) अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर्स पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर कुछ लोग मरीज को स्ट्र्रेचर पर लेकर थाना सेक्टर-24 पहुंच गए। अस्पताल की चिकित्सा निदेशक समेत अन्य डॉक्टर्स के खिलाफ कोतवाली में लिखित शिकायत दी। मामला बढ़ता देख सेक्टर-24 कोतवाली प्रभारी विवेक श्रीवास्तव मरीज के साथ अस्पताल पहुंचे। प्रबंधन से वार्ता कर मरीज को दिल्ली स्थित वेंकटेश्वर अस्पताल रेफर करवाया है।
सेक्टर-10 के निवासी रिम थापा का आरोप है कि उनके 60 वर्षीय पिता सीबी थापा का लिवर खराब है। डॉक्टर्स ने लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता बताई है। बहन ट्रांसप्लांट के लिए लिवर देने को तैयार है। मगर पिछले ढाई माह से ईएसआइसी अस्पताल प्रबंधन से ट्रांसप्लांट की अनुमति के लिए चक्कर काट रहे हैं। विरोध और धरने के बाद लिवर ट्रांसप्लांट के नाम पर प्रबंधन की ओर से गुरुग्राम स्थित आर्टेमिस अस्पताल में आठ मार्च को रेफर किया गया था।
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पुलिस हस्तक्षेप पर मरीज को दिल्ली के अस्पताल में किया रेफर
पीड़ित के अनुसार आर्टेमिस अस्पताल प्रबंधन की ओर से कहा गया कि मरीज को ओपीडी में सिर्फ परामर्श के लिए भेजा गया है। पुनः तीन दिन बाद मरीज को आर्टेमिस अस्पताल ले गए थे, लेकिन आर्टेमिस अस्पताल ने ईएसआइसी अस्पताल के पैनल में नहीं होने बात कही। जबकि ईएसआइसी अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि आर्टेमिस अस्पताल लिवर ट्रांसप्लांट के लिए पैनल में शामिल है। इसके बाद ईएसआइसी प्रबंधन ने मरीज को दिल्ली एम्स में सिर्फ ओपीडी के लिए रेफर किया है। स्ट्रेचर पर मौजूद मरीज को एम्स की ओपीडी में दिखाना संभव नहीं है। तबीयत खराब होने पर मार्च माह में मरीज को यथार्थ अस्पताल लेकर पहुंचे थे।
एक सप्ताह तक बेहतर इलाज के लिए प्रबंधन ने पेट में पानी नहीं भरने की समस्या को दूर करने यथार्थ अस्पताल टिप्स डालने की अनुमति मांगी थी। यथार्थ अस्पताल प्रबंधन की ओर से पहले 22 फिर 30 मार्च को ईएसआइसी अस्पताल को अनुमति के लिए मेल किया था, लेकिन ईएसआईसी प्रबंधन ने अनुमति ना देकर कहा कि मरीज अपने आप सही हो जाएगा। इसलिए सामान्य इलाज किया जाए। एक अप्रैल को मरीज की हालत गंभीर होने के बावजूद यथार्थ अस्पताल को मरीज को ईएसआइसी अस्पताल भेजने को कहा। मरीज की हालत गंभीर है यह जानते हुए भी ईएसआइसी अस्पताल प्रबंधन पहले तो लिवर ट्रांसप्लांट के लिए टरकाता रहा। अब टिप्स डालने के लिए आनाकानी की गई। इस कारण कोतवाली पहुंचे।
युवा क्रांति सेना के अविनाश सिंह ने कहा कि चिकित्सा निदेशक डॉ. सोना बेदी, डीएमएस डॉ. रीता महाजन, एचओडी मेडिसिन डॉ. केएल सुधारकर की ओर से मरीज के इलाज में लापरवाही बरती गई है। अगर लापरवाही से किसी की जान गई कानूनी कार्रवाई के लिए कोर्ट जाएंगे। कई माह पहले वेंकटेश्वर अस्पताल को पैनल में किया गया था, लेकिन मरीज को वहां रेफर नहीं किया गया।
वहीं ईएसआइसी अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि मरीज को पूर्व में अर्टेमिस अस्पताल रेफर किया जा चुका था। लेकिन अस्पताल ने लिवर ट्रांसप्लांट में असमर्थता जताते हुए कारण स्पष्ट नहीं किया। अर्टेमिस अस्पताल से जवाब मांगा है। चूंकि मरीज लिवर ट्रांसप्लांट के लिए अर्टेमिस अस्पताल और एम्स के साथ समझौता है। इसलिए मरीज को एम्स रेफर किया गया था, लेकिन मरीज के स्वजन उसे एम्स नहीं ले गए। बीते सोमवार को ही वेंकटेश्वर अस्पताल को पैनल में शामिल किया गया है। बुधवार को मरीज को वहीं रेफर किया गया है। इलाज में लापरवाही बरतने के आरोप निराधार है। वहीं प्रभारी चिकित्सा निदेशक डा. सोना बेदी ने कहा कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है। वह बाद में बात करेंगी।