Greater Noida News : हाथरस में हुए करोड़ों के जमीनी घोटाले में तत्कालीन तहसीलदार और ओएसडी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल

Apr 17, 2025 - 10:23
Greater Noida News : हाथरस में हुए करोड़ों के जमीनी घोटाले में तत्कालीन तहसीलदार और ओएसडी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल
Yamuna Authority Office
Greater Noida News : यमुना एक्सप्रेसवे  औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र में हुए करोड़ों रुपए के जमीनी घोटाले मामले में तत्कालीन तहसीलदार, ओएसडी के खिलाफ भी गौतम बुद्ध नगर पुलिस ने एंटी करप्शन कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। इसमें दोनों अधिकारी और उनके रिश्तेदारों की भूमिका की पुष्टि की गई है।
Greater Noida News :
 पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 23.92 करोड़ के हाथरस जमीन घोटाले में यमुना विकास प्राधिकरण के एक अधिकारी ने थाना बीटा- दो में मुकदमा दर्ज करवाया था। इस मामले में यमुना विकास प्राधिकरण के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी पीसी गुप्ता सहित कई लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। इसी क्रम में जांच के दौरान नोएडा पुलिस ने यमुना विकास प्राधिकरण के तत्कालीन तहसीलदार  अजीत परेश और ओएसडी वीरपाल सिंह के खिलाफ एंटी करप्शन कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया है। इसमें दोनों अधिकारियों और उनके रिश्तेदारों की भूमिका पाई गई है। पुलिस की विवेचना में वीरपाल सिंह के 6 रिश्तेदारों व करिबियों पर भी जमीन खरीद बिक्री के आरोप लगे हैं। इसके मुताबिक उन्होंने अपने भांजे निर्दोष चौधरी, दामाद नीरज तोमर, साले संजीव, नौकर सत्येंद्र और समधी मदनपाल सिंह समधी के बेटे अजीत सिंह के नाम से जमीन सस्ते दाम पर खरीदारी तथा उसका मुआवजा यमुना विकास प्राधिकरण द्वारा दिया गया। इस मामले में अब तक 16 आरोपियों के खिलाफ पुलिस आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है। इनमें पांच सरकारी अधिकारी है। अजीत  वर्तमान में वाराणसी में मुख्य राजस्व अधिकारी हैं, और वीरपाल सिंह सेवानिवृत हो चुके हैं। इसके अलावा कई अन्य लोगों के नाम भी जांच में सामने आए हैं। पुलिस की जांच अभी भी जारी है।
 मालूम हूं कि वर्ष 2018 मैं यह बात सामने आई थी कि यमुना विकास प्राधिकरण में तैनात अधिकारियों ने हाथरस जनपद में बिना किसी प्लानिंग के विकास प्राधिकरण की तरफ से जमीन का अधिग्रहण किया। जिससे यमुना प्राधिकरण को करोड़ों रुपए का घाटा हुआ।
इस मामले में थाना बीटा- दो में मुकदमा दर्ज हुआ था। तत्कालीन सीईओ पीसी गुप्ता, एसीईओ सतीश कुमार, ओएसडी बीपी सिंह समेत 29 लोगो के खिलाफ धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। इस मामले में तत्कालीन सीईओ पी सी गुप्ता सहित कई लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। जिन्हें मेरठ के एंटी करप्शन कोर्ट में पेश किया गया। हाथरस जमीन घोटाले से पहले इसी तरह घोटाला मथुरा जनपद में भी हुआ था। वहां भी इसी तर्ज पर अधिकारियों ने करीबी लोगों से 57 हेक्टर जमीन खरीदी थी। इस मामले में भी हाथरस जमीन घोटाले के आरोपी शामिल रहे हैं। पुलिस की टीम इस तरह के अन्य मामलों में हुई अनियमितता की भी जांच कर रही है। बताया जाता है कि पुलिस की जांच में यह  भी सामने आया था कि इस मामले में प्राधिकरण के अधिकारियों व बिल्डर कंपनी के लोग मिले थे। इससे शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ। मामले की जांच धीरे-धीरे धीमी हो गई थी। बाद में मामले की जांच एसीपी प्रथम प्रवीण सिंह को दी गई। एसीपी की विवेचना के बाद पुलिस टीम ने अजीत परेश व वीरपाल के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया। पुलिस की जांच में पता चला कि जिस वक्त यमुना प्राधिकरण हाथरस में जमीन का अधिग्रहण कर रहा था उस वक्त योजना के मुताबिक 5 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता थी, लेकिन आरोपियों ने अधिक कमाई के लालच में पहले ही 14.5 हेक्टेयर जमीन किसानों से औने- पौने दाम में खरीद लिया तथा खुद यमुना प्राधिकरण से मुआवजा उठा लिया।