Noida News : 48.50 लाख रुपये की ठगी के मामले में निजी बैंक के कर्मचारी समेत दो गिरफ्तार
Noida News : शेयर मार्केट मे ट्रेडिंग के नाम पर 48 लाख 50 हजार रुपये की ठगी करने वाले एक्सिस बैंक के कर्मचारी समेत दो आरोपियों को साइबर क्राइम थाने की टीम ने बुधवार को गिरफ्तार किया है। सेक्टर-41 से गिरफ्तार हुए आरोपियों के पास से वह मोबाइल भी बरामद हुई है जिसका इस्तेमाल ठगी में हुआ था। आरोपियों के खाते में जमा ठगी के सवा तीन लाख रुपये की रकम को पुलिस ने फ्रीज करा दिया है। गिरोह के सरगना समेत अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी एकत्र की जा रही है।
साइबर क्राइम के सहायक पुलिस आयुक्त विवेक रंजन राय ने बताया कि फर्जी ट्रेडिंग प्लेटफार्म बनाकर साइबर जालसाजों ने कुछ दिन पहले नोएडा के सेक्टर-50 निवासी अजय कुमार श्रीवास्तव के साथ ठगी की थी। पीड़ित ने साइबर क्राइम थाने में मामले की शिकायत की थी। इसके बाद ठगो की गिरफ्तारी के लिए एक टीम गठित की गई थी। उक्त टीम ने आज इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने बताया कि गिरफ्त में आए आरोपियों की पहचान जौनपुर निवासी ऋषभ मिश्रा और औरैया निवासी धीरज पोरवाल के रूप में हुई है। ऋषभ मिश्रा फर्जी फर्म का खाता खोलने वाला एक्सिस बैंक का कर्मचारी है और धीरज पोरवाल फर्जी फर्म धारक है। पुलिस के पूछताछ में पता चला है कि ये ठग अपने गिरोह के सदस्यों के साथ फर्जी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से धोखाधड़ी करते हैं और फर्जी फर्मो के नाम से खोले गए खातों में धोखाधड़ी की रकम ट्रांसफर कराते हैं। इसके लिए इनलोगों को कमीशन मिलता है। गिरफ्तार आरोपियों ने इस ठगी में शामिल आर.के ट्रेडर्स व अन्य फर्मो के खातों को खोलने के लिए अपने आप को व्यापारी बताकर न्यू अशोक नगर दिल्ली में पोरवाल ट्रेडर्स के नाम पर रेंट एग्रीमेन्ट तैयार कर दुकान किराये पर ली थी। इस दुकान के पते पर विभिन्न फर्मो के बैनर व मोहर तैयार कराकर विभिन्न बैंको में फर्जी फर्मो के नाम पर खाता खोले गए थे। इन्हीं खातों में साइबर ठगी की रकम ट्रांसफर हो रही थी।
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साइबर क्राइम के एसीपी ने बताया कि ऋषभ मिश्रा सेक्टर-25 जलवायु विहार स्थित एक्सिस बैंक में जूनियर मैनेजर के पद पर कार्यरत है। उसने जयपुर के विश्वविद्यालय से बीसीए किया है। कंप्यूटर चलाने से लेकर बैंक खातों के दुरुपयोग की अच्छी जानकारी है। पिछले करीब छह वर्ष से बैंकिंग लाइन में वह काम कर रहा है। वह बैंक में ऋण के लिए आने वाले लोगों से उनके दस्तावेज लेकर दूसरे पते पर फर्जी आधार कार्ड बनवा लेता था। इसके अलावा उस आधारकार्ड पर बैंक में खाता खुलवा लेता था। फर्जी दस्तावेजों पर खरीदे गए सिम से उनका ऑनलाइन संचालन अपने पास रखता था। इसके बाद वाट्सएप ग्रुप बनाकर लोगों से ठगी करता था। वहीं दूसरा आरोपी धीरज एक होटल में काम करता है। आरोपितों के मोबाइल से कई पीड़ितों के नंबर मिले हैं। इसके अलावा गिरोह में शामिल अन्य लोगों से वाट्सएप पर की गई चैट की जानकारी मिली है। सभी तथ्यों की जांच की जा रही है।